-राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन
-पृथ्वी को रिचार्ज समय की आवश्यकता
-कैच दा रेन प्रासंगिक
-अर्शिका ने जीता प्रथम पुरस्कार
हरिद्वार । महाविद्यालय में आज नेहरू युवा केन्द्र तथा काॅलेज के आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन संरस्वती वन्दना व द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया।
इस अवसर पर डाॅ. मोहित कुमार शर्मा, पर्यावरण विभाग, देव संस्कृति विश्वविद्यालय ने की-नोट स्पीकर के रूप में प्रतिभाग किया तथा महाविद्यालय के स्तर पर पर्यावरण विभाग के डाॅ. विजय शर्मा ने इस कार्यक्रम के संयोजक के रूप में अपनी सेवायें दी। कार्यक्रम में ‘स्टोरी आफ स्टफ’ नामक एक चलचित्र का भी प्रस्तुतिकरण किया गया । जिसके माध्यम से वैश्विक स्तर पर अपशिष्ट पदार्थों के प्रबन्धन की समस्या को भी दर्शाया गया।
इस अवसर पर धारणीय विकास, रेन वाटर कन्जरवेशन तथा पर्यावरणीय प्रदूषण के विषय पर भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। भाषण प्रतियोगिता में काॅलेज के अमूल्य सक्सेना, अर्शिका, गौरी अग्रवाल, आयुष सिंह, अनीश कुमार, गौरव बंसल आदि छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता में अर्शिका ने प्रथम, अमूल्य सक्सेना, गौरव बंसल ने द्वितीय व गौरी अग्रवाल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। समस्त विजेता प्रतिभागियों को प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा द्वारा पुरस्कृत किया गया। की-नोट स्पीकर मोहित शर्मा ने कहा कि धारणीय विकास तथा जल संरक्षण समय की मांग है और भारत जैसे विकासशील देश में जल का संरक्षण अति आवश्यक है। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने धारणीय विकास की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नई पीढ़ी के संरक्षण के लिए आवश्यक है कि संसाधनों का संरक्षण भी किया जाये। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर सत्त विकास हेतु सामुहिक प्रयास की आवश्यकता है। वर्तमान में कुछ देश तो अपने प्राकृतिक संसाधन को बचाये हुए हैं तथा दूसरे देशों के संसाधनों से निर्मित उत्पादों का उपभोग कर रहे हैं। ऐसे में उस देश की प्राकृतिक सम्पदा भविष्य की पीढ़ी हेतु नहीं बच पायेगी। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम उत्पादों के पुनः प्रयोग के लिए तकनीकों का उपयोग करें। भारत देश में तो प्राचीन समय से ही स्थानीय स्तर पर *जुगाड़* जैसी तकनीक का परम्परागत रूप से प्रयोग होता आया है। स्थानीय स्तर पर किये जा रहे ऐसे प्रयोग न केवल अपशिष्ट पदार्थों को नया जीवन प्रदान करते हैं, अपितु प्राकृतिक सम्पदा को भी बचाने में योगदान देते हैं।
इस अवसर पर श्रीमती रिंकल गोयल, श्रीमति रिचा मिनोचा, श्रीमती कविता छाबड़ा, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. रेनू सिंह, डाॅ. सुगन्धा वर्मा, प्रियंका, डाॅ. सरोज शर्मा, डाॅ. रजनी सिंघल, डाॅ. लता शर्मा, डाॅ. पदमावती तनेजा, श्री विनीत सक्सेना, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, वैभव बत्रा, दिव्यांश शर्मा, अंकित अग्रवाल, डाॅ. मिनाक्षी शर्मा, डाॅ. पल्लवी त्यागी, अशोक चैहान, राजकुमार, होशियार सिंह चैहान, श्रीमती हेमवंती, संजीत कुमार एड़., कमल नेगी, सुशील राठौर, घनश्याम सिंह, कुंवरपाल, ओमीचन्द, राजीव कुमार व छात्र-छात्रायें आदि उपस्थित थे।