हरिद्वार।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रांत का संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष 3 मई से प्रारम्भ होकर 2 जून (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी से आषाढ शुक्ल द्वितीय) की प्रात: दीक्षान्त तक सरस्वती शिशु विद्या मंदिर इण्टर कालेज मेल सेक्टर में आयेजित किया गया।
अपने इस वर्ग में कुमांऊ तथा गढवाल के सुदूर क्षेत्रों से इस 2 दिवसीय साधना रूपी प्रशिक्षण को प्राप्त करने के लिए स्वयं के व्यय से स्वयंसेवक आये हैं। प्रशिक्षण वर्ग में संघ की रचनानुसार 26 जिलों के नगर, खण्ड, बस्तियों से कुल 36५ शिक्षार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जिसमें 24१— विद्यार्थी, 3३ अध्यापक एवं 9१— व्यवसायी हैं। शिक्षार्थियों को प्रशिक्षण देने हेतु 56 शिक्षक और 1४ व्यवस्था बन्धु सम्मिलित हैं। इस वर्ग में 8२ खण्डों के 15३ गांव, 6१ नगरों की, 13२ बस्तियों, 269 शाखाआें व 15 मिलन का प्रतिनिधित्व हुआ है। इस वर्ग की दिनचर्या सुबह 4 0 बजे से प्रारम्भ होकर रात्रि 1 0 बजे तक होती है । जिसमें सुबह 2 घण्टा 15 मिनट एवं सायं को 1 घण्टा 35 मिनट का संघ स्थान, जहां शरीर को साधने एवं अनुशासन के लिए शारीरिक प्रशिक्षण तथा दोपहर में बौद्धिक प्रशिक्षण सम्मिलित है। स्थानीय कार्यकर्ताआें ने 90 परिवारों से सम्पर्क किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि प्रतिदिन 2२५ परिवारों से रोटियां वर्ग में साधना कर रहे शिक्षाथ्रियों को भेजी जाती रही।
संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में मुख्य अतिथि डा. चिन्मय पण्ड्या प्रति कुलपति सामाजिक संगठन किसी भी राष्ट्र के विकास के अनिवार्य अंग हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्पण भाव से समाज सेवा के काम में लगा हुआ है। जिसके फलस्वरूप आज भारत सम्पूर्ण विश्व में मार्गदर्शन करने की भूमिका में आया है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता इन्द्रेश कुमार ने कहा भारत हमारी मां है, हमें इसके प्रति तज्ञ रहना चहिए । जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी मातृ भूमि से बढ कर कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ छुआछूत और भेदभाव को पाप मानता है। संघ वो चीजें देता है, जो चीजें पूरी दुनिया में कहीं भी खरीदने से नहीं मिलतीं। कहा कि पैसे से जरूरत की चीजें तो मिल जाती हैं। लेकिन संस्कार नहीं मिलते हैं। संघ की शाखा संस्कारों के निर्माण की अभिनव पद्धति है। शाखा में नियमित आने वाले प्रत्येक स्वयंसेवक का जीवन अपने आप अनुशासित हो जाता है। वह अपने से अधिक राष्ट्र को महत्व देने लगता है। शाखा में विभिन्न तरह के कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों में भाग लेने से स्वयंसेवकों के भीतर कार्यकर्ता का गुण विकसित होता है।
मानसिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से दक्ष होने का हर प्रशिक्षण संघ की शाखा में होता है। इसलिए स्वयंसेवकों को प्रतिदिन शाखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ का काम पहले भी व्यक्ति निर्मित ही था और आज भी यही है। पहले हम जब अपने संघ के श्रेष्ठ विचार को समाज में रखते थे, तो लोग इसे व्यवहार से अलग और दकियानूसी धारणाएं देखते थे। आज समय बदला है, लोगों में संघ की गारंटी और विश्व भर में विश्वास है। कार्यकर्ता अपने आचरण, जीवन एवं कृत्य से समाज को भरोसे में लिया, इसकी वजह से संघ की पहचान समाज में स्थापित हुई। उन्होंने कहा कि समस्या कभी—कभी विकराल रूप धारण कर लेती है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक समाज को स्वच्छ और शक्ति संपन्न बनाने की दिशा में अग्रणी रहते हैं। संघ समान नागरिक संहिता का समर्थक है । जो लोग इसका विरोध करते हैं वे देश को तोडना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि पुरोला जैसी घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा किसी लडकी के 15 टुकडे मिलना यह प्रेम नहीं हो सकता। नाम बदलकर प्रेम नहीं केवल मक्कारी एवं वासना होती है। कुछ लोग राम मंदिर निर्माण के लिए चन्दा नहीं देते अपने आप को पंथनिरपेक्ष बताते हैं और हज कमिटी को 35 करोड का चन्दा देते हैं। तब इनकी पंथनिरपेक्षता कहां समाप्त हो जाती है। संघ कट्टरपंथी विचारधारा का विरोधी है। डा. हेडगेवार और संघ जन्मजात देश भक्त है। संघ एक देश भक्ति का आन्दोलन है। संघ शताब्दी वर्ष तक 6 लाख गांव 6 लाख मोहोल्लों में अपने स्वयंसेवक निर्माण में संकल्पित है। तथा 1 लाख स्थानों पर प्रत्यक्ष संघ शाखा लगे इसके लिए प्रयत्नशील है। विश्व में जहां भी हिन्दू है वहां संघ का सम्पर्क हो यह शताब्दी वर्ष का लक्ष्य है। वर्ग के सर्व व्यवस्था प्रमुख अनुज त्यागी द्वारा सभी आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
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November 24, 2024