हरिद्वार।
पूर्व कानून मंत्री डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने हरिद्वार में एक प्रेस वार्ता में उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त हुए 228 कर्मियों के मामले के संबंध में कहा कि मैं इन बेकसूर बर्खास्त कार्मिकों की पैरवी करने आया हूं साथ ही इनके साथ हुए अन्याय को आम जनता के समक्ष रखने आया हूं उन्होंने कहा कि यह बड़ा आश्चर्य का विषय है कि एक ही संस्थान में एक ही प्रक्रिया से नियुक्ति पाए कार्मिकों की वैधता दो अलग-अलग निर्णय मैं कैसे वैद्य हो सकती है उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही किसी भी दृष्टि से उचित नहीं लगती जिसमें एक विधान वह एक संविधान का उल्लंघन हुआ है डॉ स्वामी ने कहा कि यह कहां का न्याय है कि वर्ष 2001 से 2015 की नियुक्ति को संरक्षण दिया जाए वही वर्ष 2016 से 2022 तक की कार्मिकों को 7 वर्ष की सेवा के उपरांत एक पक्षी कार्रवाई कर बर्खास्त किया गया है उन्होंने कहा कि बिना कोई कारण बताए बिना शो कॉज नोटिस दिए बिना सुनवाई का औषधीय कर्मचारियों को बर्खास्त कर देना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत की मूल भावना के विपरीत है उन्होंने कहा कि पूर्व में भी उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बर्खास्त कार्मिकों की बहाली के लिए अनुरोध किया था हरिद्वार में कॉरिडोर बनाने का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इन कार्यों से सुंदरता प्रभावित होगी और ना ही इसकी कोई आवश्यकता है मुख्यमंत्री को इस पर रोक लगाना चाहिए उन्होंने कहा कि वह मंदिरों के राष्ट्रीयकरण के विरुद्ध हैं और पूर्व में भी वह इसके विरुद्ध कोर्ट में गए थे और सरकार ने फैसला वापस लिया था।